एक व्यापारी



Pritam Joshi



क्या व्यापारी होना इतना आसान है जितना तुम समझते हो,
कि खरीदी दुकान ,भरा समान , हो गयी दुकान, बन गए व्यपारी।

जी नही !
ये बस आपका वहम है ।

व्यपारी बनना इतना आसान तो नही।।
ये,ना आपको खवाबों में मिलेंगे
और न ही किसी के अरमानों में मिलेंगे ।
ये हमेशा अपनी दुकान में मिलेंगे ।
जमाने भर की खुशियों से अलग है ये 
और लोंगो को लगता है गलत है ये ।
कभी समान पहुचाने ,तो कभी बैंक, या फिर कभी जाम  में मिलेंगे , 
तुम चले जाना ये अपनी दुकान में मिलेंगें 
होती होगी सर्दी,गर्मी  या बरसात आपके लिए
इनकी तो नींद भी पूरी नही होती कि रात गुजर जाती है,
अरे, वीकेंड  होता होगा  तुम्हारे लिये,
तुम चले जाना ये अपने दुकान में मिलेंगें 
कि  इनके लिए न कोई होली , न कोई दीपावली , न कोई नवरात्रि, न कोई रक्षाबंधन और न ही कोई 31st की नाईट होती है।
की तुम चले जाना मेरे दोस्त , ये अपने काम मे मिलेंगे ।।

"कोरोना काल के एक योद्धा ये भी है"





SHARE YOUR STORY

GIVE FEEDBACK/RATINGS

SUBSCRIBE TO NEWSLETTER
Nishant

परखों तो कोई अपना नहीं, समझो तो कोई पराया नहीं

Post a Comment

If you have any queries, you can contact us.

Previous Post Next Post