जाने का ना कोई पैगाम दिया,
ना लौट आने की कोई उम्मीद,
फिर भी उसके इंतज़ार में ना जाने कितना बैठा होगा ..?
क्या पता वो मुस्कुराने वाला कितना रोया होगा..?
ना जन्नत के सपने देखे,
ना पायी सुकून की नींद,
ना जाने कितनी रातें उसकी यादों में सोया होगा..?
क्या पता वो मुस्कुराने वाला कितना रोया होगा..?
ना बेवफ़ाई का गम पी सका,
ना कर सका अपनी वफा का घमंड,
कितने दर्द इस छोटे से दिल में छुपा के बैठा होगा..?
क्या पता वो मुस्कुराने वाला कितना रोया होगा..?
मौत अब परायी लगने लगी थी,
जिंदगी जिम्मेदारी बन रह गयी थी,
फिर भी हसते हसते खुद की साँसे सह रहा होगा...?
क्या पता वो मुस्कुराने वाला कितना रोया होगा..?