कैसे हो?
सोचा आज एक खत तुम्हारे नाम लिख लू,
अपने प्यार को एक नये तरीके से ज़ाहिर कर लू।
पर युही लिखते लिखते ख्याल आया,
की देखो ना ये सफर हमें कहा लाया।
की कल तक जो सिमटे रहे तुम्हारी बाहो मे,
आज वो प्यार छोड़ आये बिच राहो मे।
की कल तक जिनके चेहरों पे समां नहीं रही थी मुस्कुराहट,
आज उन्ही पे दर्द के दस्तक की गूंज रही है आहात।
की कल तक तुम जिसकी ज़िन्दगी थे,
उन्ही की राहो मे तुम्हारी मौजूदगी नहीं।
की कल तक जो तुम्हे प्यार करते थे,
आज वही लाचार कर बैठे।
फिर किसका इंतेज़ार है तुम्हे?
उस ज़ालिम का जिसने पीछे मूड के ना देखा,
या उस एहसास का जिसने तुम्हे खुद से दूर फेका?
क्यों लड़ रहे हो यु इस तरह?
ख्वाब वो देखो जो पुरे हो,
उस एक के बिना थोड़ी तुम अधूरे हो।
छोड़ दो उपना वक़्त ज़ाहिर करना उन के लिए,
अब तोह अपने आंसू पोहोचने है,
अपनी ऊंचाईयों तक पहुंचना है,
उन कम्भख्त यादो को नोंचना है,
और खुद के लिए सोचना है।
अब वक़्त है
अपने प्यार को आज़ाद करनेका,
अब वक़्त है खुदसे इज़हार करने का,
अब वक़्त है ढूंढने का,
खुदसे प्यार करने के उन हज़ार तरीको का।
सोचा आज एक नये तरीके से अपने प्यार को इज़हार करलु,
पर लिखते लिखते ख्याल आया,
कयु ना इस बार खुद ही से प्यार कर बेठू।