"इस भागदौड़ भरी जिंदगी में थकना मना है।"
जी हां!हम सब इसी बात को दिमाग में रखकर जी रहे है आज - कल।इसी तरह चल रही थी हमारी जिंदगी,लेकिन तभी अचानक वक़्त जैसे कि थम गया। लॉकडाउन का आदेश होते ही 25 मार्च से पूरे भारत देश के लोगो की तेज रफ्तार जिंदगी में लगी शोर्ट ब्रेक!फैक्ट्री में मशीनों कि आवाज बन्द हो गई,भीड़भाड़ वाली सड़के सुनसान हो गई,गाव के चौराहों पर अब चीडिया उड़ रही थी,धरती ने जैसे सांस लेने के लिए कुछ वक़्त मांगा था।सब कुछ बन्द था लेकिन इन सब के बीच,इतनी शान्ति में भी भाग रहा था मेरा मन.......जोर से धड़क रहा था मेरा दिल.....!!!बस इसी सोच में कि अब आगे क्या होगा?यूं लगने लगा जैसे जिंदगी में अब रहा ही क्या है??ना बाहर जा सकते है,ना कुछ मौजमस्ती,ना कोई पार्टी..!अब घर की चार दीवार के बीच इतने दिनों तक रहने का सोच के ही मेरा दम घुटने लगा।
ख़यालो कि रफ्तार बड़ी तेज थी,तभी मां ने आवाज दी और में पहोच गई रसोई घर में।बहुत दिन हो गए थे अपने हाथ से कुछ बनाया नहीं था,आज वक़्त था तो कुछ आजमाने का मन हुआ।मुझे इस तरह देखकर मां को भी खुशी हुई।खाने के बाद आलबम देखने बैठे।बचपन की तस्वीरे देखकर एक बार फिर छोटी हो गई थी में!अलमारी में कितने दिनों से मायूस बैठे रंगो को देखा तो उनके साथ भी थोड़ा खेल लिया।तभी कोने में बैठा गिटार थोड़ा हस के बोला,"कितनी जिद की थी मुझे घर लाने के लिए,अब तो जैसे मुझे भूल ही गई हो!"उसकी बात ने मुझे बर्थडे गिफ्ट वाला वो दिन याद दिलाया और फिर वही पुराने अंदाज से में बैठ गई उसे लेकर और हमारी जुगलबंदी शुरू...!!!!
दिन गुजरते गए,धीरे धीरे घर की चार दीवार में सुकून मिलने लगा।जिसको में घुटन समझ रही थी उन्हीं दिनों को जैसे मैंने सबसे अच्छे से जिया।क्या कुछ नहीं किया मैंने...खुली हवा में जी भर के सांस ली ,चिड़िया और कोयल कि मधुर आवाज के संगीत को सुना ,पलक जपकाए बिना चांद की खूबसूरती को निहारा और सितारों से बाते भी की।
अब इन दिनों से लगाव सा हो गया है।आज तक जिंदगी गुजर रही थी घड़ी के कांटों के साथ लेकिन इन दिनों ने लम्हों को जीना सिखाया है।आज छत पर आकर देख रही हूं तारो को,अब मन शांत है,हौले हौले चल रही ठंडी हवा महसूस कर रही हूं,तभी धीरे से दिल से आवाज आई,"शुक्रिया!अपनी जिंदगी को नई धड़कन देने के लिए!"