हकीकत

image of boy using phone
ऐसा नहीं है कि स्ट्रगल अब खत्म हो गया है..
समस्याएं ही शायद अपनी दोस्त बन गयी हैं..

वो जो फिक्र सी थी जो हरदम लगी रहती थी..
अब जब वो फिक्र नहीं होती तो अकेलापन सा लगता है..

वो सारे सवाल अब भी वही हैं..
जिनके जवाब कॉलेज से निकलते ही ढूंढने लगे थे..

लेकिन अब जवाब ढूंढने से ज्यादा कम्फोर्टेबल
उन्हीं सवालों के साथ होने लगे हैं..

ये उम्र का वो दौर है 

जब दाढ़ी और बाल से कोई मतलब नही 
जब शर्ट पेंट मैचिंग है या नहीं फर्क नहीं पड़ता..
जब अपने ऊपर कुछ भी खर्च बोझ सा लगने लगता है..
और तो और जिस सलून से बाल कटाते आये थे..
अब वो भी मंहगा लगने लगा है..

अपने सपनों का अपनी हकीकत से कम्प्रोमाइज करा दिया है..
  अब वो छोटी खुशिया भी  बड़ी लगने लगी है 
खिलाड़ी हम अब भी वही हैं..
बस बाहर जाती गेंदों पर बल्ला लगाना छोड़ दिया है.


SHARE YOUR STORY

GIVE FEEDBACK/RATINGS

SUBSCRIBE TO NEWSLETTER
Shivangi Thakkar

Just a gregarious lass who likes to play with words.

Post a Comment

If you have any queries, you can contact us.

Previous Post Next Post