My journey of healing.

heal by words
Story by- Lavina
Age- 22
ये बात ज़्यादा पुरानी नहीं बस कुछ ही महीनों पहले मेरा एक बोहोत ही करीबी मुझे छोड़ कर चले गएहमेशा को। उसी के 2 महीने बाद तालाबंद हुआ। तालाबंद होना शायद मेरे और मेरी फैमिली के लिए भी उतना ही फैमिली फ्रेंडली होता जितना कुछ औरो के लिए रहा। पर फैमिली का एक महत्त्व मेम्बर हमने खो दिया तो यह quarantine होना जेल मे बंद होने सा ही था।

इस पर पैसा भी एक बड़ी चीज है। खुद को फाइनेंसियल डिपेंड देख देख के मेरी खुद से बढ़ती हुई नाराज़गी मुझे जीने ही नहीं दे रही थी। इसीलिए खुद के अंदर एक आग लगायी थी मेने की मुझे कैसे भी करके कुछ करना है। पर वो आग बस मुझे हर दिन जला रही थी।

घाव दिए थे ज़िन्दगी ने मुझे, पर ज़िन्दगी को हक़ किसने दिया? मेने।

जद आधी कुछ जल चुकी थी मे, अपने ही विचारों से, उम्मीदो से जिनपर मे खड़ी नहीं उतर पा रही थी। तो खुद से बात करना शुरू किया।

खुद से जब खुद का हाल पूछा तो मे रो पड़ी, मेने जब मुझसे पूछा की हुआ क्या? तो मे मुझसे बोली

 ये उम्मीद जो तुमने मुझसे लगाई है मुझसे इनका बोझ अब उठता नहीं,  इन्हे तुम मुझसे वापस लेलो”

 

तब मुझे पता चला की तालाबंद मे सोशियल मीडिया पर चलती अपनी हुनर ढूंढने की, इस तालाबंद मे कुछ कर दिखाने की प्रक्रिया मे मेरा योगदान नहीं भी होगा तो चलेगा।

मेने जाना की किसी को सच मे फर्क भी नहीं पड़ता।

मेने समझा की मे आज कुछ पाउँ या आज से 4 साल बाद कोई फर्क नहीं पड़ता। 2020 मे ऐसा कुछ खास नहीं जो 2025 मे नहीं हो सकता।

मे खुद इस बात को समझी की,

 ज़रूरी नहीं है आप जो चाहे आपको उसी वक़्त मिल जाये,  अगर वो चीज वाकई आपके लिए बानी है और आपके लिए सही है तो वो आज नहीं तो कल नहीं तो 10 साल बाद ही सही आपको मिल ही जाएगी।

खुद से उम्मीदे लगाना गलत नहीं है,  पर जब हम अपनी उइ उम्मीदो तले दबने लगे, हमारा सांस लेना भी हमें खुद पर बोझ लगने लगे, तो ऐसी उम्मीद को किसी पाने पर उतार कर आसमान मे उछाल देना ही बेहतर है।

उम्मीदे अगर रौशनी है तो भला ऐसी रौशनी किस काम की जो आँखों मे चुभने लगे, इसका बेहतर उदहारण हम तब देखते है जब लोग भारी दोपहरी मे काले चश्मे पहनते है, उन्हें रौशनी तो चाहिए पर सिर्फ इतनी जिससे वो देख सके इतनी नहीं की वो उनकी आँखों मे चुभने लगे। उम्मीदे भी उतनी ही अच्छी है जो जीने दे इतनी नहीं जो ज़िन्दगी जला दे।

वक़्त भाग रहा है ये सच है, और ये किसी के लिए नहीं रुकेगा ये भी सच है,  और हम नहीं जानते की हमारे पास कितना समय और है,  ये भी सच है। पर जल्दी किस बात की है?

मेने तो ये समझा है की

अगर आपकी ज़िन्दगी मे आने वाला कल है तो कल भी एक मौका है कुछ करने का,  और अगर आने वाला कल आपके नसीब मे नहीं है,  तो चील जब कल आप होने ही नहीं वाले दुनिया मे, तो क्या करोगे कुछ हासिल करके? (सोचियेगा )

ज़िन्दगी जीने के लिए है, और ज़िन्दगी है तभी वजूद है आपकी सफलता की।

पहले जीना ज़रूरी है...... Happy living

    IT'S OK TO FAIL TODAY, YOU MAY WIN TOMORROW...... ONLY IF YOU BELIEVE SO...


Nishant

परखों तो कोई अपना नहीं, समझो तो कोई पराया नहीं

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