Bhagwaan Kaha hai?

Bhagwan kaha hai?


इंसान की कामयाबी के साथ इंसानियत अक्सर खो जाया करती है,
नाकामयाब के सपनों की कदर क्यूं कम हो जाया करती है??

पूरी ज़िन्दगी हम दोस्त बनाने में ज़ाया करते हैं,
अफ़सोस वो दोस्त अब सिर्फ़ फ्यूनरल में आया करते हैं।

इंसान की औकात अब उसका पॉकेट बताने लगा है,
खुदके बड़े बैंक बैलेंस के आगे हर रिश्ता छोटा लगने लगा है।

दादी कहा करती थी हर इंसान में भगवान है,
मेरा बस एक सवाल है,भगवान कहां है?
Dhairya Mehta

अनजान राहों में, कहानियों के ज़रिये मिलेंगे हम ये वादा है।

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