नाकामयाब के सपनों की कदर क्यूं कम हो जाया करती है??
पूरी ज़िन्दगी हम दोस्त बनाने में ज़ाया करते हैं,
अफ़सोस वो दोस्त अब सिर्फ़ फ्यूनरल में आया करते हैं।
इंसान की औकात अब उसका पॉकेट बताने लगा है,
खुदके बड़े बैंक बैलेंस के आगे हर रिश्ता छोटा लगने लगा है।
दादी कहा करती थी हर इंसान में भगवान है,
मेरा बस एक सवाल है,भगवान कहां है?