आओ उनकी कुछ कहानी सुनाते हैं,
जो देश की रक्षा के हित में काटों पे कदम बढ़ाते हैं।
अपने हर क्षण को दान की तरह न्योछावर किया,
धूप को जिन्होंने अपना चादर है बनाया,
इनका वर्णन तो शब्दों ने भी पूरा किया
जिन्होंने लोगों की रक्षा का ज़िम्मा है उठाया।
भारत की धरती माता ने कुछ ऐसे बेटे पाले हैं
जिनके खून के हर बूंद से माँ के सिंदूर भरे जाते हैं,
आओ उनकी कुछ बात सुनाते हैं
जो देश की रक्षा के हित में काटों पे कदम बढ़ाते हैं।
सरहद पे खड़े जवानों का एक ही धर्म चला-आया
छू सके मेरी माँ को ऐसा किसीने हाथ न बनाया,
भीतर जो संकट से टकराता,
हर प्राण की जान बचाना, धर्म उनका यही सिखाता ।
इनके जज्बों का कोई नाप नहीं
जो देश की रक्षा में अपने प्राण गवांते हैं,
आओ उनकी कुछ बात सुनाते हैं
जो देश की रक्षा के हित में काटों पे कदम बढ़ाते हैं।
तुम से ही ये देश बना, तुम पे ही ये खड़ा,
तुम भगवान हो, रक्षक हो, तुम ही हमें सवारें हो,
इस देश को तुम पर है गर्व बड़ा,
तुम ही तो इस धरती माँ के दुलारे हो।
इनके सेवा का कोई मोल ना होता,
ये देश इन्हे प्रणाम है करता,
आओ उनकी कुछ बाते सुनाते हैं,
जो देश की रक्षा के हित में काटों पे कदम बढ़ाते हैं।
- खन्नु