वैसे तो चाय की पैदाइश को हुए तो ज़माना हो गया है लेकिन कहते हैं ना कुछ चीज़े आपके जीवन में एक हसीन याद छोड़ जाते हैं।
लोगों को लगता है की आखिर एक चाय क्या कर सकती है, आखिर एक कप चाय में लोग अपनी यादें कैसे खोजते हैं। कुछ दिनों पहले की बात है मैं और मेरे दोस्त खाने की मेज़ पर रखे इस चाय की वकालत कर रहे थे की एक ने कहा यार कुल्हड़ में चाय पीने का मज़ा ही कुछ और है, तो ऐसे में हम लोग कहते हैं जगह देख रहे हो, कितनी गंदी जगह है ये। अरे भाईसाब थोड़ी साफ़ सुथरी इस जगह को नहीं रख सकते सरकार ने एलान किया है स्वच्छता अभियान का। तो ऐसे में वो चायवाला जवाब देता है काम धंधा कुछ है नहीं और चले आए सुझाव देने, ऐसे में मैं पलट कर जवाब देता हूं चच्चा सुधर जाओ वरना पुलिस की गाड़ी आएगी और उठा के ले जाएगी। ऐसे में चच्चा बोलते हैं हट रे बुड़बक चले आते हैं कहां कहां से मुफ्तखोर कहीं के, एक कप चाई के पैसे नहीं है और चले आए मुफ्त का ज्ञान बांटने चलो निकलो यहां से।
अरे जा रहे चच्चा इस चाय से अच्छी हमारी कॉफी है कम से कम यहां तो आना नहीं पड़ेगा। हां हां जाओ जाओ बहुत देखें हैं तुम्हारे जैसे।
हॉस्टल पहुंचते ही पता लगता है की देश भर में लॉकडॉउन शुरू होने वाला है कॉलेज वालों ने घर जाने को कहा है, हमारी खुशी का ठिकाना नहीं रहा हम लोगों ने अपने ट्रेन-फ्लाइट की टिकटें बुक की और अपना समान बांध के निकल लिए । घर पहुंचने की खुशी शायद ही कोई समझ सकता था लेकिन लॉकडॉउन के चलते काफ़ी कुछ बंध पड़ गया था । कुछ दिनों बाद मुझे कॉफ़ी पीने की इच्छा हुई, शाम का समय था सभी लोग टीवी वाले कमरे में बैठे हुए थे मैने रसोई घर में जाके देखा तो कॉफ़ी थी ही नहीं मैने मम्मी को आवाज़ दी पूछा कॉफ़ी कहां है तो मम्मी कहती है कॉफ़ी तो खतम हो गई है, मम्मी ने मुझसे कहा अच्छा है अब तू रसोई घर में आ गया है तो सबके लिए एक-एक कप चाय बनादे, मैने कहा चाय कौन पिता है? मा ने बोला यहां सब पीते हैं और तू ही बनाएगा मैने हामी भर दी और सब के लिए चाय बनादी चाय की ट्रे लेकर पहुंचने पर सब लोग मेरी टांग खींचने लगे और सबने अपने- अपने चाय की प्याली उठाई, शायद कितने सालों बाद मेरा पूरा परिवार साथ में बैठा था हम लोग हसी मज़ाक कर रहे थे गाने गुनगुना रहे थे और कैरम भी खेल रहे थे बहुत दिनों बाद ऐसा एक माहौल बना, मुझे अपने बचपन के दिन याद आगये जब मैं और मेरे अन्य भाई बहन साथ में खूब मस्ती किया करते थे। ऐसे में मेरे दोस्त का फ़ोन आता है वहीं कुल्हड़ वाला दोस्त तो वो पूछता है "क्या कर रहा है?" तो मैंने कहा चाय पी रहा हूं तो वो हसके बोलता है तू और चाय सुबह से मिला नहीं कोई और बनाने के लिए मैने हस कर उसकी बात टाल दी और पूछा किसलिए याद किया तो उसने कहा लॉकडॉउन के चलते कई मज़दूरी करने वाले लोग बेघर हो गए हैं। तो मैने भी हताश होके हां में जवाब दिया फ़िर अचानक से चच्चा का खयाल आया और पूछा अपने कॉलेज के बाहर जो चाय बेचते थे उनकी क्या हालत है तो वो कहता यार उनकी भी हालत बहुत बुरी है वो तो अपने घर भी नहीं जा पा रहे हैं । मेरे दिमाग में एक खयाल आया और मैंने दोस्त से कहा कॉलेज के ग्रुप में डाल किस किस का पैसा चच्चा के पास बकाया है और कुछ ही देर में लोगों ने अपने बकाया का हिसाब दिया, मैंने उन सबसे कहां क्यूं ना हम चच्चा को उनके घर पहुंचाए तो हम सबने किसी एक को सारे पैसे ट्रांसफर किए और चच्चा के लिए एक फ्लाइट की टिकट खरीदी और उनके चाय के दुकान के पास रहने वाले हमारे दोस्त को भेज दिया उसने तुरंत अपनी गाड़ी निकाली और चच्चा के पास पहुंचा और कहा चच्चा तुरंत गाड़ी में बैठो तुम्हारे घर जाने की व्वस्था हो गई चलो। चच्चा को कुछ समझ नहीं आया और कहा किसने की, तो मेरे दोस्त ने कॉन्फ्रेंस कॉल लगाया और हम सबने कहा चच्चा आपका बकाया पैसा हम सबने दे दिया है अब आप जाइए और अपने घर पे आराम कीजिए और हां जब हम वापस आए तो सबके लिए एक एक स्पेशल चाय ज़रूर रखना। चच्चा की आखें आसुओं से भर गए हम सबकी तरफ़ से मेरे दोस्त ने उनके आंसू पोछे और उन्होंने कहा ज़रूर बेटा ।
शायद उस एक कप चाय ने हमें इंसानियत और परिवार का महत्व समझाया अगर चाय की कीमत अभी भी नहीं समझे तो ये याद रखिये इस देश मे सबसे उच्च सिखर का इंसान भी चाय वाला ही था.
हर रोज़ कुछ नया बताती है ज़िन्दगी,
जिसने पहचान लिया, उसे बहुत कुछ सिखाती है ज़िन्दगी |