संभल ज़रा!

This picture shows a number of people travelling on foot because of corona lockdown.

Poem By:- Tanmay Rohit,21
शुक्र कर रब का की तू अपने घर में है,
पूछ जाकर उससे जो अटका बीच सफ़र में है।
यहां पिता की शकल नहीं देखी आख़री वक़्त कुछ लोगों ने,
बेटा कहीं अस्पताल में,तो बाप सोया कब्र में है।
तेरे घर में तो है राशन साल भर का 
पर एक पल के लिए तू उसका सोच,
जो दो वक़्त की रोटी की फ़िक्र में है।

तुझे किस बात की है इतनी जल्दी बाहर घूमने की,
जब पूरी काइनाथ आज अपनी ही क़ैद में है।
यह वहम निकाल दे अब अपने मन से,
इंसानों की कोई नहीं सुनता आजकल,
इस बार कुदरत अपने ही सूर में है।
Shivangi Thakkar

Just a gregarious lass who likes to play with words.

Post a Comment

If you have any queries, you can contact us.

Previous Post Next Post