कॉलेज टेल्स

This picture shows a bunch of students graduating

अभी हाली में सुंदर पिचाई गूगल के सीईओ ने ग्रेजुएशन स्पीच दी 
मैं तो इस साल ग्रेजुएट नहीं हो रहा था पर मेरे जैसे कई लोग आज इस परेशानी से जुंझ रहे हैं बस ये सोच रहे हैं काश कोई जॉब हमें भी मिल जाए। काश किसी गूगल में, अमेज़न में, या किसी सरकारी दफ्तर में बस एक अच्छी जॉब। लेकिन सबसे ज़रुरी चीज़ तो हम मिस कर गए वो कॉलेज के आखरी दिन, ग्रेजुएशन के आखरी दिनों में एक बड़ी सी पार्टी करेंगे, बिहार के फेमस सोंग लॉलीपॉप पे खूब डांस करेंगे, गाने हम खूब गुनगुनाएंगे,अपने बैच की सबसे हॉट लड़की से अपने इंट्रोवर्ट फ्रेंड को प्रपोज करवाएंगे, अपने रूममेट के जन्मदिन पर एक आखरी बार कॉलेज में उसका G.P.L मनाएंगे,उसके बर्थडे पर केक खाने से ज़्यादा उसके चेहरे पर लगाएंगे, अपने यार के साथ एक आखरी रोडट्रीप पे तो ज़रूर जाएंगे, एक आखरी बार कॉलेज की छत पर दो जाम ज़रूर टकराएंगे।

एक लड़का, जिसका नाम रणधीर था वो कभी अकेला ऐसे कॉलेज हॉस्टल में नहीं रहा था। तो कॉलेज में उसकी एंट्री होते ही गार्ड कहता है ओह ओह भैया कहां- ये कोई पार्क थोड़ी ना है जो घुसे चले आ रहे हो। तो रणधीर ने कहा जी मैं न्यू एड्मिशन हूं । गार्ड ने पलट कर जवाब दिया तो ऐसा कहो ना चलो जल्दी रजिस्टर पे साइन करो। रणधीर की ज़िन्दगी का रोलर कोस्टर चालू होगया था जिसमें तजुर्बे उसे एक से बढ़कर एक मिलने वाले थे। वो अपने हॉस्टल के सबसे ऊपर वाले माले में दाखिल हुआ, रूम no-803। 

उसने दरवाज़ा खट खटाया उसके दुसरे रूममेट ने दरवाज़ा खोला और पूछा क्या चाहिए तो रणधीर ने जवाब दिया जी ये रूम मुझे अल्लोट हुआ है। उसके रूममेट ने जवाब दिया- ओ अच्छा तो तुम्ही हो वो नमूने चलो आओ। वैसे तो रणधीर अंजान लोगों से बात नहीं करता पर पहली बार हाथ बढ़ाया और कहां हां मैं ही हूं पर मुझे नहीं बताया गया था कि मेरे साथ शाकाल रहने वाला है। उसने कहा बड़े तेज़ बन रहे हो बेटा तो, रणधीर ने जवाब दिया अभी तो गाड़ी स्टार्ट हुई है। शाकाल ने  कहा - ठीक है वो रहा तुम्हारा बैड और सामान अलमारी में रख देना। 

आधी रात हुई थी और कोई दरवाज़ा ज़ोर ज़ोर से पीटने लगा रणधीर और उसका रूममेट इस तरह से डर गए जैसे किसी भूत ने एंट्री ली हो। वो एक चलता फिरता भूत ही था, वो और कोई नहीं रणधीर का दूसरा रूममेट और उसका नाम हिमेष था । जिसे इंजीनियरिंग से कोई लेना नहीं था बस डिग्री के लिए इस कॉलेज में आ गया था। 

कुछ दिनों तक रणधीर और उसके रूममेट्स में ज़्यादा बातचीत नहीं होती थी तो एक दिन जब रात के दस बज रहे थे तो अचानक कॉरिडोर से आवाजें आने लगी इस टाइम भूत नहीं था, हमारे बाकी फ्लूर्मैट्स ने नाचने गाने का प्रोग्राम रखा था और उसमें सबसे आगे था बिहार का लाला हरीश जो लॉलीपॉप गाने पर ऐसे ठुमके लगा रहा था की कोई भी शर्मा जाए और उसके साथ मेरे बाकी फ्लूर्मेट्स शशांक, गौरव, अंकित और अखिल। वैसे नाम अलग थे पर हम सब एक ही तरह के थे। 

आखिर में एक ऐसे इंसान की एंट्री हुई जिसने एसएसबी क्रैक कर रखा था लेकिन मेडिकल रीजंस की वजह से उसका सिलेक्शन नहीं हुआ उसका नाम अनिल था। रणधीर के सारे फ्लूर्मैट्स में सबसे हस्मुख और खुशमिज़ाज था। रणधीर ने कभी नहीं सोचा था की कॉलेज के एक महीने बाद ही उससे किसी लड़की से प्यार हो जाएगा और प्यार मोहब्ब्त के चलते उसने शायरी और कविता लिखना चालू कर दिया। जी हां और उस लड़की को भेजने से पहले वो अपनी शायरी और कविताएं अपने दो दोस्तों को ज़रूर सुनाता था अनिल और उसका बेस्ट फ्रेंड हिमेश उन्हें पता था रणधीर कुछ खास अच्छी कविता नहीं लिखता था पर उससे मोटिवेट करने में कोई कसर नहीं छोड़ी एक दिन उसके  कॉलेज की सभी सोसाइटी का रिक्रूटमेंट चल रहा था रणधीर ने उस लड़की को भी बुला लिया जिससे वो बेहद पसंद करता था। 

जब उसके फ्लूर्मट्स को इसका पता चला तो अनिल जो आगे चलकर उसी सोसाइटी का सेक्रेटरी बना उसने सभी को इकठ्ठा किया और सिर्फ रणधीर का दिल ना टूटे सभी ने उस सोसाइटी के रिक्रूटमेंट में शामिल हुए वो लड़की तो नहीं आयी पर उसके दोस्त हमेशा मौजूद रहे, आज रणधीर को सब शायर के तौर पर,तो उसका श्रेय सिर्फ अनिल और उसके दोस्त हिमेश को क्रेडिट जाता है। 

क्लास में कोई खास नहीं था पर वही रणधीर की फ़िक्र करने वाले सबसे ज़्यादा उसके फ्लर्मेट्स कभी उससे फोमो का एहसास नहीं होने देते। एक दिन जब रणधीर बहुत उदास था क्योंकि उसी लड़की ने उसका दिल तोड़ दिया था तो हरीश और उसके बाकी रूममेट्स ने छत का दरवाज़ा खोला और एक लंबा टॉक सेशन चलाया सिर्फ रणधीर को खुश देखने के लिए ऐसे में गौरव अपना गिटार लाता है और हम सभी को गाने पर मजबूर करता है। 

रणधीर के लाइफ में ये आठ दोस्त उसकी गाड़ी के वो आठ पहिए थे जो कॉलेज के तीन सालों में उसके लिए लाइफ सपोर्ट का काम किया उसने अपनी ज़िन्दगी के हर अच्छे बुरे हर एक्सपीरिएंस को उनके साथ शेयर किया। रणधीर और उसके फ्लूर्माट्स हर साल कॉलेज के रूम बदलते पर उन्हें अपना 8th floor सबसे ज़्यादा याद आता था इस बात की वजह से रणधीर और उसके फ्लूर्मातेस हमेशा अनजान रहे पर रणधीर समझता था शायद ये हम सभी का पहला घर था इसलिए उन्हें ये सबसे प्यारा था। 

आज भी जब एक दूसरे को कभी कॉल करते हैं तो बस यही उम्मीद रखते हैं कि लॉक डाउन जल्दी से खतम हो और हम सब एक ही चीज का इंतजार करते हैं अनिल के बर्थडे जिसपे हम सब हर साल खाने पीने और मौज उड़ाने जाते थे और अपनी सबसे इंपॉर्टेंट मोमेंट्स बनाते थे
रणधीर कहता रहता है हमेशा एक तस्वीर जिसमें उसके फ्लूरमेट्स है I miss you my life supports.

Pratyush Kumar Pani

Find my way to express not to impress by my stories.

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