मैं ना जानु मुझे क्या लिखना, रो रहा है हर एक लम्हा
इस साल को ये हुआ क्या, ना साथ दे रहा कोई अपना
शुरू हुआ था जब कोरोना, लग रहा था बस सिर्फ इतना
फिर लगी जंगल में आग, कर दिया उसने सब कुछ राख
जब कुछ ना है मेरे पास, सीख रहा हूं सबका साज़
बुला रहा भगवान सितारे, ज़मीन क्यूं ढूंदे चांद अपना
मतलब से सब तेरे साथ, छुपाने सबको अपने राज़
असलियत जो खो चुकी है, नकली के ही है सब साथ
एसी भी क्या थी नफरत, जो रच दी साजिश तूने इंसान
मार रहा है इंसान को इंसान, इंसान ही बना यहां हैवान
सरहद के जवान को सब करे सलाम, फिर भूल क्यों गए हॉस्पिटल के जवान
उनको भी कोई सलाम करलो, जो लड़ रहे है दिन - रात
मैं ना जानु मुझे क्या लिखना, रो रहा है हर एक लम्हा
इस साल को ये हुआ क्या, ना साथ दे रहा कोई अपना