आज भी यहां खड़े है आप को बचाने के लिए,आप को बचाने, आप ही से बचते हुए,
गर्मी में शेक रहे है खुद को, आप का ध्यान रखने के लिए,इस बीमारी से आप को बचाने के लिए,
PPE पहने हुए,आप को आप के घर में रहेने की नसियत देते हैं कि ,आप घर पर सलामत रहे।
क्योंकि हमारे घर में भी ,सब हमारी राह में बैठे हैं, हम यहां आप को बचाने की दुआ में खड़े है,
और हमारा परिवार हमारे लिए दुआए मांगता खड़ा है,
अगर हम आप के लिए, आप के परिवार के लिए,इस महामारी में घर से दूर खड़े है।
तो क्या आप हमारे परिवार के लिए घर के अंदर नहीं रह सकते?
नहीं चाहिए हमें ढोल नगाड़े या तालियों की गड़गड़ाहट,
सिर्फ चाहिए तो आप का साथ और आप का प्यार।
अगर आप हमें दो शब्द भी नहीं कहेंगे प्यार से ,
तो भी चलेगा पर क्या पत्थर उठा के मारना ज़रूरी है?
हम आप के परिवार की व्यथा को समजते है, आप की बीमारी को समझ ते है।
तो क्या आप एक डॉक्टर के परिवार की व्यथा को नहीं समझ सकते?
एक परिवार को दुःख होता है, जब उसका कोई सदस्य ऑक्सिजन पर जी रहा हो तो,
बस उतनी ही तकलीफ उस मां को भी हुई होगी , जिस पे आप ने पत्थर फेंके है
अभी भी वो मां इतनी भी नाराज़ नहीं हुई, की आप उसको मना ना सके,
अगर आप ये गलती दोबारा नहीं करोगे , किसी भी मां के बच्चो के साथ तो भी वो मान जायेगी।
अपनी गलतियों को सुधार लो उस के पहले, की हम सबकी मां भारत मां आप से नाराज़ हो जाएं।
पूरा परिवार एक जुथ हो कर अपने घरों में रहो ,
क्योंकि हमारा परिवार भी हमारे लौटने की राह में जग रहा है।
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