बात विस्तार

Picture of Telephone
Poem By:- Sudhanshu Jha ,21

ट्रिंग ट्रिंग... ट्रिंग ट्रिंग 
फ़ोन बजा और मैंने जाकर उठाया 
पूछा, इतने सुबह कॉल मिलाये हो, कौन हो तुम भाया? 

" मेरे बारे मेरे तुम काफी कुछ जानते हो 
फ़िक्र मत करो तुम मुझे  पहचानते हो " 

ना ऐसी कभी आवाज़ सुनी थी ना किसी से बात किया, 
सोचने लगा मे, ये कौन है जिसने मुझे याद किया |
"अरे आप बताते है या फ़ोन रख दू "
तिलमिलाते हुए मैंने उस व्यक्ति को जवाब दिया|

" अब मे जो आगया हु सब कुछ बताऊंगा 
बहुत सारी चीज़े है सभी याद दिलाऊंगा 
हर पल हर वक़्त मुझे ही हो कोश्ते 
मुझसे कब छुटकारा पाओगे, यही रहते हो सोचते 
रोज़ मुझे तुम थोड़ा थोड़ा जान रहे 
इतने परिचय के बाद, क्या अब भी नहीं पहचान रहे? "

फिर मैंने गुस्से मे बोला, "यूँ पहेलियाँ क्यों बुझाते हो "
"सीधे सीधे बोलो ना बातों को गोल गोल क्यों घुमाते हो "

" मैं निर्दय और कठोर बनकर आया हु,
डरो मत में तुम जैसा ही आदमखोर बनकर आया हु, 
तुम लोगो को सिख देने आया हु 
बहुत जुलुम किया है मेरे भाइयों पे 
उन सबका बदला लेने आया हु 
बेज़ुबां को कैद करके रखते हो 
उन्हें राहत देने ओर तुम जो 
खुले घूमते हो, तुम्हे कैद करने आया हु " | 

वो हमलोगो को गुन्हेगार ठहरा रहा था, 
उसकी गोल गोल बातों मे मुझे ये साफ नज़र आरहा था |

धीरे धीरे वो अपने राज़ खोलता गया 
बीन चुप हुए ही वो फिर आगे बोलता गया |

" अभी तो कमर तक मेरे पोहचे हो 
अभी पूरा कद मेरा बाकि है 
बहुत कम है झेला अबतक 
अभी बहुत कुछ झेलना बाकि है " 

अब गुस्सा मेरा मेरे सर के पार था 
इन भाई साहब से बात करना बेकार था 
फिर मैंने एक आखिरी कोशिश लगाई 
और पूछ लिया, अरे बतादो तुम कौन हो भाई 

" में वही हु जो तुम्हारे अबतक के कर्मो को तराज़ू मे
तौल रहा हु 

जान ना ही चाहते हो तो सुनलो मे 2020 बोल रहा हु "

Shudhanshu jha

Its my mood which makes me an extrovert or introvert. I believe that " diplomacy is best policy" . Want to work for the Indian govt. and currently trying my ass out to serve them. Ok bye

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